सर्दी की मुस्काई धूप हो गर्मी की ठंडी छांव हो तुम भागते दौड़ते इस शहर में मेरा अलसाया सा एक गाँव हो तुम हँसती चहचहाती पहाड़ों से नीचे आती नीली सी नदी का चंचल सा बहाव हो तुम पल पल बदलते इस शहर में मेरा पहचाना सा एक गाँव हो तुम मुश्किलों में आगे बढ़ते
Bahut shandar
Bahut shandar